


एनडी न्यूज नेटवर्क। एक समय था, जब सामान खरीदने के लिए बाजार जाना जरूरी था। लेकिन अब हर सामान मोबाइल स्क्रीन पर ऑनलाइन मिल जाता है। कपड़े, जूते, टीवी यहां तक कि ग्रॉसरी और दवाइयां भी। ऑनलाइन शॉपिंग की यह सहूलियत तब मुश्किल बन जाती है, जब खराब, नकली या गलत सामान डिलीवर हो जाए।

रिटर्न-रिफंड के नाम पर टाल-मटोल शुरू हो जाए तो यह सुविधा परेशानी में बदल जाती है। कई बार कंपनियां रिफंड के लिए फोन कॉल्स, ईमेल का जवाब नहीं देतीं हैं या फिर पूरी जिम्मेदारी रिटेलर या मैन्युफैक्चरर पर डाल देती हैं। ऐसे में ग्राहक के पास क्या कानूनी अधिकार हैं?
अगर ऑनलाइन मंगाया गया सामान खराब निकल जाए या गलत प्रोडक्ट मिले तो ग्राहक को क्या करना चाहिए?
ऐसी स्थिति में ग्राहक को सबसे पहले सबूत के तौर पर प्रोडक्ट की फोटो और वीडियो बनानी चाहिए। फिर शॉपिंग एप या वेबसाइट पर जाकर रिटर्न-रिप्लेसमेंट के लिए रिक्वेस्ट दर्ज करानी चाहिए। ज्यादातर कंपनियों के पास 7 से 10 दिन की रिटर्न पॉलिसी होती है।
क्या ग्राहक को बिना कारण बताए भी सामान लौटाने का अधिकार है?
यह पूरी तरह से उस ई-कॉमर्स वेबसाइट की रिटर्न पॉलिसी पर निर्भर करता है। कुछ वेबसाइट्स पर ‘नो-क्वेश्चन रिटर्न’ की सुविधा होती है, जहां ग्राहक बिना कारण बताए भी तय समय ( आमतौर पर 7 या 10 दिन) के भीतर सामान लौटा सकता है। हालांकि कई बार अंडरगारमेंट्स, पर्सनल केयर आइटम्स या कस्टमाइज्ड ऑर्डर्स इसमें शामिल नहीं होते हैं। इसलिए खरीदारी से पहले वेबसाइट की रिटर्न और रिफंड पॉलिसी को ध्यान से पढ़ना जरूरी है।
अगर कंपनी रिफंड देने में आनाकानी करे या बार-बार टालती रहे तो ग्राहक क्या कर सकता है?
ग्राहक को सबसे पहले अपने सारे रिकॉर्ड्स संभाल कर रखने चाहिए। जैसे ऑर्डर की रसीद, कस्टमर केयर के कॉल या चैट के स्क्रीनशॉट, ईमेल का प्रूफ आदि।
ऑनलाइन शॉपिंग करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
ऑनलाइन शॉपिंग में सुविधा तो है, लेकिन धोखाधड़ी और गलत प्रोडक्ट मिलने का जोखिम भी बना रहता है। कई बार लोग ऑफर्स या भारी डिस्काउंट के चक्कर में ठगी का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में कुछ जरूरी सावधानियां अपनाकर इन जोखिमों से बचा जा सकता है।
अगर कंपनी कस्टमर केयर कॉल या ईमेल का जवाब न दे तो क्या करें?
ऐसी स्थिति में ग्राहक को सबसे पहले कंपनी को लिखित रूप में एक अंतिम नोटिस भेजना चाहिए। जिसमें पूरी समस्या और रिफंड की मांग स्पष्ट रूप से लिखी हो। इसके बाद आप राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नंबर 1915 पर कॉल कर सकते हैं या www.consumerhelpline.gov.in पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा आप सोशल मीडिया पर कंपनी को टैग करके भी शिकायत को उठाकर कंपनी पर दबाव बना सकते हैं।
eDaakhil पोर्टल पर शिकायत कैसे करें?
उपभोक्ता edaakhil.nic.in पर जाकर पहले रजिस्ट्रेशन करें, फिर लॉगिन करके “नई शिकायत दर्ज करें” पर क्लिक करें। जरूरी डिटेल भरें, दस्तावेज अपलोड करें और फीस (अगर लगे तो) ऑनलाइन भरकर शिकायत सबमिट करें। शिकायत की स्थिति पोर्टल पर ट्रैक की जा सकती है।
क्या ऑनलाइन खरीदे गए सामान पर भी वही उपभोक्ता अधिकार लागू होते हैं, जो ऑफलाइन पर होते हैं?
हां, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से की गई खरीदारी में उपभोक्ता को एक जैसे कानूनी अधिकार प्राप्त हैं। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को भी स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है। कंपनियों को पारदर्शिता, क्वालिटी, सुरक्षित लेन-देन और रिटर्न पॉलिसी से जुड़े नियमों का पालन करना होता है।
क्या ग्राहकों के सिर्फ अधिकार ही होते हैं या कुछ जिम्मेदारियां भी हैं?
अधिकारों की तरह ही एक जिम्मेदार उपभोक्ता होने के भी कुछ कर्तव्य होते हैं, जिन्हें समझना और निभाना जरूरी है। जब हर ग्राहक जागरूक और सतर्क रहेगा, तभी बाजार में पारदर्शिता और ईमानदारी बनी रह सकती है।
- खरीदने से पहले प्रोडक्ट की जानकारी (रेटिंग, रिव्यू, गुणवत्ता) जरूर जांचें।
- रिटर्न और वारंटी नियम ध्यान से पढ़ें।
- बिल/इनवॉइस जरूर लें और संभालकर रखें।
- नकली या घटिया सामान मिलने पर शिकायत करने से न हिचकें।
- जिम्मेदारी से खरीदें। अनावश्यक ऑर्डर या रिटर्न से बचें।
- अन्य उपभोक्ताओं को जागरूक करें।
इन जिम्मेदारियों को निभाकर आप न केवल खुद को, बल्कि दूसरों को भी ठगी और धोखाधड़ी से बचाने में मदद कर सकते हैं। एक सतर्क उपभोक्ता ही अपने अधिकारों का सही उपयोग कर पाता है।
